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CCI ने क्यू-कॉम कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी आरोपों पर मांगी अधिक जानकारी*

*CCI ने क्यू-कॉम कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी आरोपों पर मांगी अधिक जानकारी*

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं के आरोपों पर निर्णय लेने से पहले शिकायतकर्ता से और जानकारी मांगी है।

यह शिकायत कैट के साथ जुड़े हुए संगठन ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICPDF) द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को प्रस्तुत की गई थी।

CCI की अध्यक्ष रवीनीत कौर ने बताया कि त्वरित वाणिज्य कंपनियों पर लगाए गए शिकारी मूल्य निर्धारण (प्रीडेटरी प्राइसिंग) और अन्य प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं के आरोपों को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा नियामक के पास भेजा गया था।

“CCI ने शिकायतकर्ता को प्रतिस्पर्धा अधिनियम के अनुसार आवश्यक विवरण और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके लिए रिमाइंडर भी भेजे गए हैं,” कौर ने हाल ही में PTI को दिए एक इंटरव्यू में यह कहा।

CCI पहले यह आकलन करता है कि क्या शिकायत प्रतिस्पर्धा मानदंडों के उल्लंघन का प्राथमिक मामला बनती है। यदि ऐसा पाया जाता है, तो मामले को उसकी जांच शाखा, महानिदेशक (DG), को विस्तृत जांच के लिए भेजा जाता है।

AICPDF के अध्यक्ष धैर्यर्शील पाटिल ने कहा कि संघ जल्दी ही त्वरित वाणिज्य कंपनियों के खिलाफ एक औपचारिक शिकायत दायर करेगा।
“हम अगले 10-15 दिनों में सभी साक्ष्यों के साथ CCI के समक्ष एक उचित याचिका (शिकायत) दाखिल करेंगे,”।

कैट और AICPDF, त्वरित वाणिज्य प्लेटफॉर्म्स के विस्तार को लेकर चिंतित है क्योंकि कि ये कंपनियां असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण बना रही हैं और छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रभावित कर रही हैं।

ब्लिंकिट, ज़ेप्टो, और स्विगी इंस्टामार्ट जैसी कंपनियों ने त्वरित वाणिज्य क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। हाल ही में, राइड-हेलिंग कंपनी ओला ने भी इस क्षेत्र में कदम रखने की घोषणा की है।भारत में त्वरित वाणिज्य का बाजार वर्तमान में लगभग 5 अरब डॉलर का है।

*शंकर ठक्कर ने आगे कहा है कि त्वरित वाणिज्य प्लेटफॉर्म्स की तेज़ी से बढ़ती उपस्थिति पारंपरिक खुदरा क्षेत्र और स्थापित फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) वितरण नेटवर्क के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा कर रही है। जिससे पिछले दो सालों में 2 लाख से ज्यादा किराना दुकाने बंद हो चुकी है और आगे भी खतरा मंडरा रहा है।*

: कनफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)

राष्ट्रीय मंत्री : श्री शंकर ठक्कर

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