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“पादप ऊतक संवर्धन में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका” पर ग्यारह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

“पादप ऊतक संवर्धन में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका” पर ग्यारह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

 ब्यूरो रिपोर्ट बांदा

पादप ऊतक संवर्धन में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ग्यारह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (30 नवंबर से 10 दिसंबर, 2024) का समापन, वानिकी महाविद्यालय, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा में कुलपति प्रो. डॉ. मुकेश पांडे के मार्गदर्शन में मंगलवार को संपन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम को पादप ऊतक संवर्धन तकनीकों को आगे बढ़ाने में नैनो-प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी क्षमता को गहराई से समझने के लिए रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया था। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य इस बात की व्यापक समझ प्रदान करना है कि कैसे नैनो सामग्री पादप ऊतक संवर्धन की दक्षता, विश्वसनीयता और स्थिरता को बढ़ा सकती है। देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों से आए वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों को प्लांट टिशू कल्चर और नैनो प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में व्याख्यान दिए और अपने बहुमूल्य अनुभव साझा किए। वानिकी के डीन और आयोजन समिति के अध्यक्ष, डॉ संजीव कुमार ने प्रशिक्षण के अतिथि और प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के ज्ञान को आगे बढ़ाने और उसका उपयोग करने के लिए कहा। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित किया और उन्हें वानिकी महाविद्यालय, बीयूएटी, बांदा में उपलब्ध प्लांट टिशू कल्चर तथा नैनो तकनीकों में किसी भी व्यावहारिक सुविधा की सहायता के लिए आमंत्रित किया। पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ० शालिनी पुरवार ने पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी, प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और प्रतिभागियों से नई तकनीकों और नवाचारों के साथ आगे बढने का भी आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० विनीता बिष्ट ने किया और पाठ्यक्रम सह-समन्वयक डॉ० विशाल चुघ ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ० एस.के.सिंह, उप कुलसचिव डॉ० राजीव उमराव, पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. शालिनी पुरवार, डॉ० मोनिका जैन, पाठ्यक्रम सह-समन्वयक डॉ० विशाल चुघ और डॉ० चंद्रकांत तिवारी तथा वानिकी महाविद्यालय के अन्य संकाय सदस्य उपस्थित थे।

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