तांबे के कलश से जलपान कराकर नशा व प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने की दिलाते हैं शपथ

पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल

भोजन को जूठा न छोङे जनजागरुकता के लिए पर्यावरण सेवक जाते हैं विवाह समारोह मे

तांबे के कलश से जलपान कराकर नशा व प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने की दिलाते हैं शपथ

समारोह स्थल पर लगाते हैं भव्य पर्यावरण संरक्षण प्रदर्शनी

भीलवाड़ा : राजकुमार गोयल

जोधपुर:- यू्एन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 40% खाने-पीने की चीजें बर्बाद हो जाती हैं। साथ ही देश में 88 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का भोजन नष्ट हो जाता है, जबकि रोज लाखों लोगों के सामने भूखे सोने की नौबत होती है।ऐसे मे पर्यावरण सेवकों ने पूरे देश में अनूठी मुहिम चला रखी है जिसके तहत विवाह समारोह मे जाकर लोगों को जागरूक करते हैं।टीम के सह-प्रभारी व स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई ने बताया कि पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्थान जोधपुर द्वारा प्रायोजित कोशिश पर्यावरण सेवक टीम अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद खमुराम बिश्नोई के नेतृत्व में पिछले 25 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयासरत है टीम में सेवा देने वाले पर्यावरण सेवक निस्वार्थ भाव से समय निकाल कर पूरे भारत में सेवा देने जाते हैं सेवा के तहत पर्यावरण सेवक सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त धरती,नशामुक्त मानव,भोजनशाला में जूठन मुक्त भोजन सहित कई बहुआयामी मुहिम लेकर जनजागरुकता अभियान चलाती हुई शनिवार को सुंथला जोधपुर में कङवासरा परिवार में आयोजित सामाजिक समारोह में पहूंची।टीम ने विवाह समारोह को नशा व जूठन रखते हुए दुल्हा-दुल्हन के हाथों पेङ लगवा कर व कपड़े की थैली भेंट कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।यहां टीम अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद खमुराम बिश्नोई के नेतृत्व में पर्यावरण सेवक जगराम मांजू, जगदीश गोदारा गडरा, पूनाराम मांजू जाम्बा,भंवरी कालीराणा,शारदा एडवोकेट,गोपी भादू मोटाई, अनिल खीचङ के साथ पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चलाने पहूंची। विवाह समारोह में आये सभी मेहमानों ने पर्यावरण सेवकों द्वारा किये जा रहे सेवा कार्यों के लिए तारीफ की व सहयोग करने की सहमति दी

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