*गूगल पे यूजर्स को लगा एक और झटका मोबाइल रिचार्ज के बाद अब बिल पेमेंट पर भी लगने लगा है चार्ज*
*गूगल पे यूजर्स को लगा एक और झटका मोबाइल रिचार्ज के बाद अब बिल पेमेंट पर भी लगने लगा है चार्ज*
*सरकार यूपीआई प्लेटफार्म पर नकेल कसे : शंकर ठक्कर*
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया यूपीआई ट्रांजैक्शन में गूगल पे की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। जिसमें लगभग 37% UPI ट्रांजैक्शन गूगल पे के जरिए होते हैं। यूपीआई ट्रांजैक्शन में वॉलमार्ट के निवेश वाला PhonePe पहले और गूगल पे दूसरे नंबर पर है। एक साल पहले गूगल पे ने मोबाइल रिचार्ज पर 3 रुपये का सुविधा शुल्क लगाया था। अब बिल पेमेंट पर भी शुल्क लगने लगा है।
जैसे-जैसे उपभोक्ता ऑनलाइन माध्यमों के द्वारा भुगतान बढ़ा रहे वैसे-वैसे आए दिन चार्ज में भी बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में देश के बड़े यूपीआई प्लेटफॉर्म्स में से एक गूगल पे ने अब बिजली और गैस जैसे यूटिलिटी बिल पेमेंट्स पर सुविधा शुल्क लेना शुरू कर दिया है। पहले इसमें कम रकम वाले ट्रांजैक्शन पर कोई फीस नहीं लगती थी। लेकिन अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड से पेमेंट करने पर 0.5% से 1% तक का चार्ज और साथ में GST भी लगेगा। एक साल पहले गूगल पे ने मोबाइल रिचार्ज पर 3 रुपये का सुविधा शुल्क लगाया था। अब बिल पेमेंट पर भी शुल्क लगने लगा है।
डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए प्रोसेसिंग शुल्क भी बताया गया है। गूगल पे का बिल पेमेंट पर प्लेटफॉर्म शुल्क लगाना UPI ट्रांजैक्शन से कमाई करने की तरफ एक बड़ा कदम है। कंपनियां पेमेंट प्रोसेसिंग की लागत वसूलना चाहती हैं। जैसे-जैसे UPI का इस्तेमाल बढ़ रहा है, फिनटेक कंपनियां अपना विस्तार करने और साथ ही कमाई भी करने की कोशिश कर रही हैं।
जनवरी तक गूगल पे ने 8.26 लाख करोड़ रुपये के UPI ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए थे। एक सूत्र ने बताया कि सुविधा शुल्क या प्लेटफॉर्म शुल्क लेना इंडस्ट्री में आम बात है। पहले गूगल पे खुद यह खर्च उठाता था, लेकिन अब यह खर्च यूजर्स पर डाल दिया गया है। गूगल पे की वेबसाइट पर बताया गया है कि कार्ड पेमेंट पर सुविधा शुल्क लगता है। लेकिन सीधे बैंक अकाउंट से लिंक UPI ट्रांजैक्शन अब भी फ्री है। यह साफ नहीं है कि यह शुल्क कब से लागू किया गया है।
फोनपे की वेबसाइट के अनुसार पानी, पाइप्ड गैस और बिजली जैसे कुछ बिल पेमेंट पर कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए सुविधा शुल्क लगता है। इसी तरह, Paytm भी UPI भी मोबाइल रिचार्ज और गैस, पानी, क्रेडिट कार्ड पेमेंट जैसे कई यूटिलिटी बिल पेमेंट पर 1 रुपये से 40 रुपये तक का प्लेटफॉर्म शुल्क लेता है। UPI का इस्तेमाल तो बहुत बढ़ गया है, लेकिन फिनटेक कंपनियों को इससे ज़्यादा कमाई नहीं हो रही है। एक स्टडी के मुताबिक UPI से दुकानदारों को पेमेंट करने पर ट्रांजैक्शन वैल्यू का लगभग 0.25% प्रोसेसिंग कॉस्ट के रूप में खर्च होता है।
वित्त वर्ष 2024 में, UPI ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग का खर्च 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें से 4,000 करोड़ रुपये 2,000 रुपये से कम वाले ट्रांजैक्शन पर खर्च हुए। 2020 से, भारत सरकार ने 2,000 रुपये से कम के UPI ट्रांजैक्शन पर MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) माफ कर दिया है ताकि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिले। 2021 से, सरकार इन छोटे ट्रांजैक्शन का MDR खुद वहन करने लगी। 2,000 रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर 1.1% मर्चेंट शुल्क लग सकता है।
*शंकर ठक्कर ने आगे कहा कि सरकार ने UPI के विकास में अहम भूमिका निभाई है। छोटे ट्रांजैक्शन की लागत वहन करके सरकार ने लोगों को UPI अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। लेकिन छोटे ट्रांजैक्शन पर MDR न होने से UPI प्लेटफॉर्म्स के पास यूजर्स से सीधे कमाई करने के ज्यादा रास्ते नहीं हैं। UPI की ग्रोथ लगातार जारी है। जनवरी 2025 में 16.99 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 23.48 लाख करोड़ रुपये थी। यह दिसंबर 2024 की तुलना में 1.55% ज्यादा ट्रांजैक्शन और 1% ज़्यादा वैल्यू है। साथ ही, यह पिछले साल की तुलना में 39% की बढ़ोतरी दर्शाता है। सरकार को यूपीआई प्लेटफार्म पर नकेल कसनी चाहिए यदि सरकार को डिजिटल ट्रांजेक्शन ज्यादा बढ़ाने है।*