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*आत्महत्या, भ्रूण हत्या नहीं करना चाहिए, यह बहुत बड़ा पाप है – बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*आत्महत्या, भ्रूण हत्या नहीं करना चाहिए, यह बहुत बड़ा पाप है – बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*मानव हत्या कभी नहीं करना चाहिए, इसका पाप क्षमा नहीं होता है*

(उज्जैन) परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने सतसंग सुनाते हुए बताया कि कलियुग में जीवों को फंसाने के लिए तरह-तरह की बाधाएँ हैं। इसलिए हमें इस कलियुग में अपनी जीवात्मा को अपने घर पहुँचाने का लक्ष्य रखना चाहिए, जिससे इसे फिर जन्मने-मरने, दुःख झेलने के लिए यहाँ न आना पड़े। ये मनुष्य शरीर, जो हीरे के समान अनमोल है, इसकी क़ीमत लोग नहीं समझ रहे हैं और अपने जीवन के बचे हुए समय को व्यर्थ लुटा रहे हैं। ये मनुष्य शरीर उस मालिक (सतपुरुष) ने दिया जिसकी अंश जीवात्मा इसमें बैठी है। इसमें जीवात्मा की मौजूदगी से यह बेशक़ीमती हो गया। उस प्रभु ने शरीर के पालन पोषण के लिए सारे इंतज़ाम कर दिए। जैसे पैदा होते ही माँ के दूध की उपलब्धता, फिर सगे-संबंधियों का प्यार, हवा-पानी, वैद्य-हकीम का ज्ञान, भौतिक ज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान के लिए गुरु जो जीवन के लिए आवश्यक है, उन सभी चीजों को वो ईश्वर प्रारब्ध अनुसार दिलाया करता है।

*मानव हत्या, आत्महत्या, भ्रूणहत्या से इस जीवात्मा को प्रेत योनि में जाना पड़ता है।*

नारी के गर्भ में जो बच्चा होता है, वो जानवर के बच्चे से ज्यादा क़ीमती होता हैं। कई लोग अनजान में गर्भपात (एबोर्शन) करवा देते हैं, जैसे कोई पैसे ऐंठने वाला डॉक्टर मिल जाए और कहे कि बच्चा बढ़ नहीं रहा और सड़ रहा है तो एबोर्शन करने के लिए कह देता है। यह कभी नहीं करवाना चाहिए। मां के गर्भ में, इस देव दुर्लभ शरीर के मिलने का मसाला तैयार होता है। पाँच महीने दस दिन के बाद जीवात्मा उसमें प्रवेश कर जाती है तब वह हिलता है, उसमें जान आती है।
मानव हत्या कभी नहीं करना चाहिए, इसका पाप क्षमा नहीं होता है। आत्महत्या कभी नहीं करना चाहिए, इसका बहुत बड़ा पाप होता है। जिस काम के लिए यह मानव मंदिर मिला, उससे अपनी आत्मा को जगाने का, परमात्मा को पाने का, आत्मा को उस तक पहुँचाने का काम आपने किया नहीं और शरीर को ख़त्म कर दिया, इसकी सज़ा मिलती है।
प्रेत योनि में जाना पड़ता है, उनका मुँह बहुत पतला और पेट बहुत बड़ा होता है जो कभी भरता नहीं है, वो हमेशा परेशान रहते हैं।

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