*45 दिनों से अधिक समय तक सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) को भुगतान बकाया रखने वाली कंपनियों को छमाही रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किया गया*
*45 दिन के बाद आपसी समझौते तहत भुगतान करने वाले को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाए : शंकर ठक्कर*

*45 दिनों से अधिक समय तक सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) को भुगतान बकाया रखने वाली कंपनियों को छमाही रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किया गया*
*45 दिन के बाद आपसी समझौते तहत भुगतान करने वाले को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाए : शंकर ठक्कर*
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया सरकार ने सभी कंपनियों को 45 दिनों से अधिक समय तक सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) के भुगतान में देरी से संबंधित आधे साल का रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह जानकारी जारी राजपत्र अधिसूचना में दी गई है।
MSME समाधान पोर्टल के अनुसार, 26 मार्च 2025 तक, लंबित भुगतानों से संबंधित 97,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी कुल राशि ₹21,600 करोड़ से अधिक है। इस राशि में रेलवे, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राज्य सरकारों और व्यक्तियों सहित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों से बकाया भुगतान शामिल हैं।
अधिसूचना के अनुसार, “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 (27 का 2006) की धारा 9 और उक्त अधिनियम की धारा 15 के प्रावधानों के तहत, केंद्र सरकार सभी कंपनियों को निर्देश देती है कि यदि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों से माल या सेवाएं प्राप्त करती हैं और उनका भुगतान 45 दिनों से अधिक समय तक बकाया रहता है, तो उन्हें कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) को एक छमाही रिटर्न प्रस्तुत करना होगा, जिसमें निम्नलिखित विवरण होंगे:
(a) बकाया भुगतान की राशि; और
(b) देरी के कारण।”
MSMED अधिनियम, 2006 के प्रावधान
• इस अधिनियम के अनुसार, यदि खरीदार 45 दिनों के भीतर सूक्ष्म और लघु उद्यम आपूर्तिकर्ता को भुगतान नहीं करता है, तो उसे आरबीआई द्वारा अधिसूचित बैंक दर के तीन गुना की दर से मासिक चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा।
• राज्य सरकारों को एमएसई विवादों के समाधान के लिए “सूक्ष्म और लघु उद्यम सुविधा परिषद (MSEFC)” स्थापित करने का प्रावधान है।
• MSEs अपने विलंबित भुगतान की शिकायत MSME समाधान पोर्टल पर दर्ज करा सकते हैं। यह आवेदन संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की MSE सुविधा परिषद (MSEFC) को भेज दिया जाता है, जो इस पर कार्रवाई करती है।
महत्वपूर्ण शर्त: MSMED अधिनियम, 2006 और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, MSME पंजीकरण का लाभ पिछली तिथि से नहीं लिया जा सकता है। इसलिए, किसी विवादित चालान की तिथि से पहले MSME पंजीकरण अनिवार्य है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के केंद्रीय बजट में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने कहा था कि MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, कंपनियों को उनके भुगतान किए जाने पर ही खर्च की कटौती का लाभ मिलेगा।
इसके तहत, वित्त अधिनियम 2023 ने आयकर अधिनियम की धारा 43B में एक नया प्रावधान जोड़ा, जिसके अनुसार जो कंपनियां वित्तीय वर्ष में MSEs को भुगतान नहीं करती हैं, उन्हें इन भुगतानों की कटौती का लाभ लेने के लिए पूरे वर्ष इंतजार करना होगा।
15 जुलाई 2024 को, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने “निर्दिष्ट कंपनियां (सूक्ष्म और लघु उद्यम आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान की जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश), 2019” में एक प्रावधान जोड़ा। इसके अनुसार, केवल उन्हीं कंपनियों को MSME फॉर्म-1 में जानकारी प्रस्तुत करनी होगी, जिनके पास 45 दिनों से अधिक समय तक सूक्ष्म और लघु उद्यमों का बकाया भुगतान लंबित है।
*शंकर ठक्कर ने आगे कहा अर्धवार्षिक रिटर्न दाखिल करने से कोई भी उद्देश्य सिद्ध नहीं होने वाला है सरकार को खासकर पहले खुद के यानी सार्वजनिक उपक्रमों को 45 दिन के भीतर भुगतान करने की सख्ती करनी चाहिए और कॉरपोरेट एवं अन्य कंपनियों को भी यह करने के लिए आदेश जारी करना चाहिए अन्यथा कई सारे लोगों ने भुगतान न मिलने की वजह से अपने आप को एमएसएमई के पंजीकरण से मुक्त कर लिया है। और आगे भी बहुत सारे लोग ऐसा करने पर मजबूर हो जाएंगे। इसके साथ आपसी समझौते के तहत जो लोग 45 दिन के बाद भुगतान लेना या देना चाहते हैं उनको इस कानून से दायरे से बाहर रखा जाए।*