*सर्वोच्च न्यायालय ने कर दाताओं को दी बड़ी राहत*
*अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी के नाम पर कर दाताओं का होने वाला शोषण एवं प्रताड़ना कम होगी : शंकर ठक्कर*
*सर्वोच्च न्यायालय ने कर दाताओं को दी बड़ी राहत*
*अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी के नाम पर कर दाताओं का होने वाला शोषण एवं प्रताड़ना कम होगी : शंकर ठक्कर*
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया खुद का कारोबार करने वालों के लिए बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आई है। वस्तु एवं सेवाएं कर(जीएसटी) एक्ट के तहत करदाताओं को प्रताड़ित करने एवं उनका शोषण करने के लिए अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी का डर दिखा कर उगाही करते थे यदि कर दाता अधिकारी की बात नहीं मानता था तो गिरफ्तार कर उसकी प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ किया जाता था। ऐसी गिरफ्तारियों पर न्यायालय ने व्यापारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट के मुताबिक कस्टम और जीएसटी एक्ट में होने वाली गिरफ्तारियों में व्यक्तियों के सीआरपीसी के तहत मिलने वाली सभी सुरक्षा मिलेगी। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि कस्टम अधिकारी को पुलिस अधिकारी नहीं माना जा सकता।
दरअसल जीएसटी एक्ट और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। कोर्ट में करीब 279 याचिकाएं दायर की गई थी।
इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सीआरपीसी के तहत मिलने वाली सभी सुरक्षा मिलेगी। गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत भी मिल सकेगी।
व्यापारी राहत के लिए कोर्ट में याचिका दे सकते है। कस्टम अधिकारी को पुलिस अधिकारी नहीं माना जा सकता।कोर्ट ने पिछले साल इस पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सीआरपीसी, बीएनएसएस के तहत आरोपी को मिलने वाली सुरक्षा जीएसटी, सीमा शुल्क के तहत अभियोजन का सामना करने वालों को भी मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जीएसटी,सीमा शुल्क के तहत अभियोजन का सामना करने वाले लोग अग्रिम जमानत मांग सकते हैं। यहां तक कि उन मामलों में भी जहां FIR दर्ज नहीं की गई है।
*शंकर ठक्करने आगे कहा सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय करदाताओं के लिए राहत भरी खबर है। इस फैसले के लिए हम सर्वोच्च न्यायालय के आभारी है।*