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*नेपाल के रास्ते खाद्य तेल आयात पर होगी सख्ती* *महासंघ द्वारा की गई मांग के बाद सरकार ने बदला नियम : शंकर ठक्कर*

*नेपाल के रास्ते खाद्य तेल आयात पर होगी सख्ती*

*महासंघ द्वारा की गई मांग के बाद सरकार ने बदला नियम : शंकर ठक्कर*

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया सरकार द्वारा आयाती तेलों पर २०% शुल्क लगाने के बाद नेपाल एवं अन्य सार्क देशों से साफ्टा समझोते के तहत शुल्क मुक्त रिफाइंड सोयाबीन तेल और पाम तेल की भारी मात्रा में धड़ल्ले से आयात हो रही थी। जिसके चलते घरेलू तेल व्यापारी और तिलहन किसानों को गहरे संकट में डाल दिया था इसलिए हमने सरकार से नेपाल एवं अन्य सार्क देशों से आयात किये जा रहे शुल्क मुक्त तेलों पर कार्यवाही करने की मांग की थी।

इस विषय को गंभीरता से लेते हुए केन्द्र सरकार ने नई अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना का पालन ढंग से किया जाता है तो देश में नेपाल सहित सार्क संगठन के अन्य सदस्य देशों से खाद्य तेल समेत अन्य कृषि एवं खाद्य उत्पादों के शुल्क मुक्त आयात पर काफी हद तक अंकुश लगने की संभावना है।

दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) समझौते के तहत शून्य शुल्क पर हो रहे इस आयात ने शुरू में उत्तरी और पूर्वी भारत में तबाही मचाई बादमें अब यह दक्षिणी और मध्य भारत तक असर दिखा रहा है। इस अनियंत्रित आयात से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

साथ ही इससे खाद्य तेल के घरेलू बाजार पर भी खराब असर पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। अब सरकार की ओर से इस मांग पर कार्रवाई कर नई अधिसूचना जारी की गई है।

कस्टम विभाग ने इस संबंध में 18 मार्च को एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें आयातकों और निर्यातकों से रियायती शुल्क के तहत आयात की जाने वाली वस्तुओं के लिए प्रूफ ऑफ ऑरिजिन (Proof of Origin) जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है।

पहले इसके लिए सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन (Certificate of Origin) पर्याप्त था। यह बदलाव साफ्टा समझौते के तहत नियमों के उल्लंघन को रोकने और सही जानकारी सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। इस कदम से नेपाल और अन्य सार्क देशों से आने वाले खाद्य तेलों की बाढ़ पर लगाम लगने की उम्मीद है।

*शंकर ठक्कर ने आगे कहा यह आयात न केवल व्यापारियों और किसानों के लिए खतरा है,बल्कि सरकार को हर महीने करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रहा है। इसे रोका नहीं गया, तो यह उद्योग पूरी तरह से तबाह हो सकता है। महासंघ ने सरकार से साफ्टा के तहत शून्य शुल्क पर आयात को बंद करने की मांग की थी। सरकार द्वारा के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं।

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