*महासंघ की मांग को सरकार ने दी स्वीकृति कच्चा पाम तेल, सरसों, सोयाबीन समेत सात कृषि उत्पादों के वायदा कारोबार पर और एक साल की रोक*

*महासंघ की मांग को सरकार ने दी स्वीकृति कच्चा पाम तेल, सरसों, सोयाबीन समेत सात कृषि उत्पादों के वायदा कारोबार पर और एक साल की रोक*
*बड़े सटोरियों के हाथों से “खेला” होने से बची रहेगी बाजार : शंकर ठक्कर*
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कृषि वस्तुओं के जिन में खासकर कच्चे पाम तेल, सरसों एवं सोयाबीन के वायदे व्यापार को लेकर हमने काफी वर्षों तक चिंता जताते हुए लगातार मांग करने पर सरकार ने पहली बार वर्ष 2021 में इन कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाया था तब से लेकर यह प्रतिबंध 31 मार्च 2025 तक जारी था। इस बीच कुछ बड़े खिलाड़ियों ने इस प्रतिबंध को हटाने के लिए सरकार से पैरवी कर मीडिया के माध्यम से भी प्रतिबंध हटने की बातें चलाई थी लेकिन केंद्र सरकार ने हमारी मांग को ध्यान में रखते हुए इस प्रतिबंध को और एक वर्ष के लिए यानी 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सात कृषि उत्पादों के वायदा कारोबार पर रोक और एक साल के लिए बढ़ा दी है। सेबी की तरफ से कमोडिटी डेरिवेटिव सेगवेंट वाले सभी स्टॉक एक्सचेंज को गैर बासमती चावल, गेहूं, चना, सरसो, सोयाबीन, कच्चा पाम तेल और मूंग के वायदा कारोबार को 31 मार्च, 2026 तक निलंबित करने का निर्देश दिया है। सेबी ने सबसे पहले 2021 में इन सभी सातों कृषि उत्पादों पर वायदा ट्रेडिंग पर रोक लगाई थी। उसके बाद से इसे लगातार एक-एक साल के लिए बढ़ाया जाता रहा है। प्रतिबंध के तहत सभी मान्यता प्राप्त कमोडिटी एक्सचेंजों पर नए अनुबंध शुरू करने और मौजूदा अनुबंधों में कारोबार करने पर रोक है। वायदा बाजार एक ऐसा बाजार है जहां किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए किसी वस्तु की भविष्य की कीमत का अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है।
*शंकर ठक्कर ने आगे कहा यदि इस पर से प्रतिबंध हटाया जाता तो कुछ बड़े खिलाड़ियों द्वारा इन कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से देश में इनके दामों में सट्टेबाजी बढ़ाकर और इनकी कीमतों के साथ “खेला” किया जा सकता है। इससे देश में खाद्य मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है इसलिए सरकार और सेबी द्वारा लिए इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।*