*कम खाओ और गम खाओ तो स्वस्थ रहोगे और लड़ाई – झगड़े से भी बचे रहोगे- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*कम खाओ और गम खाओ तो स्वस्थ रहोगे और लड़ाई – झगड़े से भी बचे रहोगे- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
*एक बार अगर ऑपरेशन करा लिया तो कोई गारंटी नहीं है कि दोबारा फिर ना कराना पड़े।*
उज्जैन बाबा उमाकान्त जी महाराज ने जिला – नैनीताल के हल्द्वानी में सतसंग के माध्यम से बताया कि ऑपरेशन से क्यों बचना चाहिए। बाबाजी ने कहा कम खाओ, गम खाओ। जब ज्यादा खा लेते हो और डॉक्टर के पास जाते हो तो वह तुरंत पैसा जमा करके ऑपरेशन करेगा। अब एक बार अगर ऑपरेशन करा लिया तो कोई गारंटी नहीं है कि दुबारा फिर ना कराना पड़े। दुबारा जाओगे फिर ऑपरेशन, तिबारा जाओगे फिर ऑपरेशन। एक आदमी तो ऑपरेशन कराते – कराते ऊब गया और डॉक्टर ने फिर बता दिया ऑपरेशन, तो बोला “डॉक्टर साहब, अबकी बार जब ऑपरेशन करना तो टांका मत लगाना; सिलाई मत करना, बटन लगा देना बटन और या तो चैन लगा देना। जब फिर आऊं तो चैन खींच कर के ऑपरेशन कर देना। टांका लगाते हो तो वह पकता है, फूटता है और पट्टी करानी पड़ती है, परेशानी होती है। इसीलिए टांका मत लगाना।”।
*ऑपरेशन से क्यों बचना चाहिए?*
एक बार जिसके शरीर का ऑपरेशन हुआ तो फिर समझलो सिस्टम बिगड़ जाता है। इस शरीर को चलाने वाली तीन मुख्य नाड़ियां होती हैं – इड़ा, पिंगला, और सुषुम्ना। उन्हीं नाड़ियों की बहत्तर हजार शाखाएं (नसें) इस शरीर के अंदर होती हैं और उनमें से बहुत सी नसों को तो आप देख भी नहीं सकते हो, डॉक्टर भी नहीं देख सकते हैं। जब वे कट जाती हैं तो खून का प्रवाह कम हो जाता है, उसमें रुकावट आ जाती है। बहुत से लोगों के पेट की नसों में तनाव होता है तो हाथ मसलने लगते हैं। सर में रुकावट आती है तो भी दबाते हैं ताकि खून का संचार फिर से चालू हो जाए। चूंकि उनको देख नहीं पाते हो और जब वे कट जाती हैं तो बराबर बीमारियां लगी रहती है। इसीलिए कहा जाता है कि ऑपरेशन से बचना चाहिए। और कम खाओ तो आराम से हजम हो जाए।