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*जब प्रकृति के नियम का उल्लंघन होता है तब यही प्रकृति भक्षक हो जाती है। – बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जब प्रकृति के नियम का उल्लंघन होता है तब यही प्रकृति भक्षक हो जाती है। – बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*कर्म खराब होने की वजह से ही तकलीफें आती हैं*

(उज्जैन)। वक्त गुरु परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम पर दिए सतसंग में बताया कर्मों की सजा से आज तक कोई बच नहीं पाया है। कर्मों की सज़ा सबको मिली है। यही प्रकृति जो रक्षक का काम करती है, वो भक्षक बनने लग गई। यही सूरज, जो रोशनी दे करके, गर्मी दे करके, विकारों को दूर करता है, अंधेरे को दूर करता है, यदि यही रोशनी तेज हो जाए तो सुबह के समय में दोपहर जैसी गर्मी पड़ने लग जाएगी, और दोपहर के समय में ये शरीर जलने लगेगा, तपने लगेगा, और शरीर की खाल जल करके उजड़ने लगेगी जैसे गरम पानी पड़ जाने पर हो जाती है।

*तकलीफें आएं ही नहीं, इस पर विचार करना चाहिए*

तकलीफें इसीलिए आती हैं क्योंकि कर्म खराब हो जाते हैं। कर्मों की वजह से जो तकलीफें आती हैं, यदि मनुष्य उन्हें सेवा और भजन के द्वारा भी यदि नहीं काट पाता है तो बड़ी मुश्किल हो जाती है। जिस माध्यम से कर्मों की सफाई होती है, उससे मनुष्यों ने दूरियां बना ली। सेवा भाव, परमार्थी भाव और ईश्वरवादिता लोगों में ख़त्म होती जा रही है। आजकल तो मनुष्य का ऐसे किसी भी कार्य में मन ही नहीं लगता। यहां तक कि कुछ लोग सन्तों और महात्माओं के पास सिर्फ इसीलिए जाते हैं कि यदि आना जाना बंद कर दिए तो कहीं और तकलीफ़ न बढ़ जाए। जब उन्हें अपने जीवन की परेशानियों में थोड़ा बहुत भी लाभ मिलता दिखाई देता है, तो वे धार्मिक कार्यकर्मों में आना जाना बनाए रहते हैं। इसलिए कोई भी कर्म करने से पहले ही सावधान रहना चाहिए कि इससे हमें भविष्य में बुरे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए।

*बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”*

किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए *जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव* की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए ।

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