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*बच्चों को मोबाइल की लत पड़ गई तो बिगड़ने की संभावना रहती है और फिर विनाश ही समझो ?*

*बच्चों को मोबाइल की लत पड़ गई तो बिगड़ने की संभावना रहती है और फिर विनाश ही समझो ?*

उज्जैन परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि जो कम उम्र के बच्चे होते हैं 10-12 साल, 13 साल से लेकर के 20 साल के अंदर के, उनके बिगड़ने की संभावना रहती है। उसके बाद वह हर चीज समझने लगते हैं तब कोई दिक्कत नहीं होती है। बच्चों की सम्भाल बहुत जरूरी है, क्योंकि नशाखोरी बहुत बढ़ती चली जा रही है। आपको लोगो को बराबर बताया जाता है कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई करोगे तो बरकत होगी। किसी को मार कर, लूट कर के लाओगे तो कोई लूट कर ले जाएगा और दिल दुखा कर लाओगे तो कोई वैसे ही ले जाएगा। इसलिए मेहनत पर भरोसा करो और मेहनत की ही कमाई खाओ और मेहनत की कमाई बच्चों को खिलाओ, तो बच्चों की भी बुद्धि सही रहेगी। नहीं तो उनकी भी बुद्धि उसी तरह की हो जाएगी।

*हर काम का समय होता है*

बाबाजी ने कहा कि हर काम का समय होता है। जो अच्छे बच्चे होते हैं, वे पढ़ते हैं; लेकिन जब समय आता है तो पढ़ाई बंद करके खेलने के लिए चले जाते हैं। लेकिन 24 घंटे तो खेल होता नहीं है, वह खेल ऐसे थोड़े ही खेलते थे जैसे कि मोबाइल में छोटे-छोटे, तीन-चार साल के बच्चे बटन दबाते रहते हैं, गेम खेलते रहते हैं। वह खेल तो थोड़ी देर में खत्म हो जाते थे। छोटे बच्चों की अगर मोबाइल में गेम खेलने की आदत बन गई तो आप समझ लो कि फिर उस बच्चे को आप अपना मत समझो। कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है। ये मोबाइल आया तो किसी मामले में तो अच्छा है लेकिन अगर इसकी लत बच्चों को, लड़के-लड़की और जवानों को पड़ गई, फिर तो विनाश ही समझो। ये सब आपको शिक्षा वाली बात बता रहा हूं इसको पकड़ो और इस पर ध्यान दो।

*बच्चों को गलत संगत से बचाने के लिए उन पर ध्यान रखो*

बच्चे जाते तो हैं पढ़ने के लिए, कोचिंग करने के लिए, ट्यूशन के लिए लेकिन वहां पहुंचते हैं कि नहीं पहुंचते हैं, क्या कोई इसका ध्यान रखते हो? बहुत से लोग इसमें चूक जाते हैं, गलती कर बैठते हैं। छोटे बच्चों को ही पढ़ाने, सिखाने के लिए आप उन्हीं से पूछ लो कि स्कूल गए थे तो बताओ आज क्या पढ़ाया गया? तो अगर स्कूल जाएगा तो बताएगा और नहीं जाएगा, खेलते ही रह जाएगा तो क्या बताएगा? यही पूछ लो कि मास्टर जी ने क्या होमवर्क दिया? उसको किया की नहीं किया? तो कम से कम कुछ अंकुश उसके ऊपर तो रहेगा। अब वे जो रुपया-पैसा मांगते हैं, आप दे देते हो तो फिर वे कहां जाते हैं? और गलत बच्चों के साथ पड़ गए तो उनकी आदत खराब हो जाती है।

*बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”*
किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए
*जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव*
की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए ।

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