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*विश्व के चार प्रभावशाली देशों के जिम्मेदारों को बाबा उमाकान्त जी महाराज का विशेष सन्देश*

*विश्व के चार प्रभावशाली देशों के जिम्मेदारों को बाबा उमाकान्त जी महाराज का विशेष सन्देश*

*नव वर्ष पर अंतरराष्ट्रीय मुद्दे, समस्याएं, युद्ध को सुलझाने के लिए बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया सरल एवं प्रभावशाली उपाय*

उज्जैन(म.प्र)देश-दुनियां में चल रहे युद्ध और गृहयुद्ध की विभीषिका के बीच विश्व शांति और सुरक्षा के लिए नव वर्ष पर सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने विश्व के प्रभावशाली राजनेताओं और धर्म प्रमुखों को विशेष सन्देश देते हुए कहा की देश-दुनियां में चल रहे युद्धों को रोको। जो धार्मिक नेता इस समय मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा के नाम पर लोगों को भड़का रहे हैं, अपना नाम करने के लिए कि हमको लोग नेता मान लेंगे, धार्मिक भावना में हम मंत्री मिनिस्टर बन जाएंगे, यह जो धर्म युद्ध कराने में लगे हुए हैं, विश्व युद्ध कराने में लगे हुए हैं, ऐसे नेताओं से प्रार्थना है कि युद्ध को टालो। विश्व युद्ध की संभावना बन रही है।

*अमेरिका, रूस, चीन और भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से बाबा उमाकान्त जी महाराज की विशेष प्रार्थना*

विश्व के सभी देश एक साथ ना आ सकें तो ये जो चार प्रभावशाली देश जैसे अमेरिका, रूस, चीन और भारत देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति जो इस समय पर विश्व में प्रमुख हैं, ये अगर इकट्ठा हो जायें तो यही इतिहास बना सकते हैं। बाबा जी की प्रार्थना है, आप चारों एक जगह बैठ जाओ।

*किस तरीके से ये युद्ध रुक सकता है ?*
विश्व शांति की प्रार्थना करते हुए महाराज जी ने बताया कि ज्यादातर लड़ाइयां ज़र, ज़मीन और जोरू के पीछे ही हुई हैं। कुछ जमीन, नदी, नाले विश्व में इस तरह के भी हैं कि पता नहीं है की कहां तक हैं ? इसलिए यदि उसका माप करा लिया जाए, अंदाजा लगा लिया जाए और फिर समझौता कर लिया जाए तब युद्ध नहीं होगा। युद्ध के जितने भी हथियार बना लिए गए हैं, यह सब नष्ट कर दिए जाएं। अगर यह भाव भर दिया जाए की मालिक सबका एक है, प्रभु सबका एक है, उसने जो बनाया है, उस नियम को पकड़ लो, मानव धर्म का पालन कर लो तो बात बन सकती है। सब लोगों को एक जगह पर बैठकर शान्ति की रूपरेखा बना लेनी चाहिए। बाबा जी यही प्रार्थना करते हैं कि सब सुखी हो जाएं, लोगों को यह जो मानव रूपी मंदिर, जिस्मानी मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा मिला है, भजन-पूजन, इबादत के लिए मिला है, यह बर्बाद ना हो जाए।

*”लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना”*

समर्पित भाव से जनता की सेवा करो। जिस काम के लिए जनता ने आपको भेजा है, जिस काम की उम्मीद देश-दुनिया को आपसे है, उसके लिए इकट्ठा हो जाओ। जनहित का काम करो, एक ऐसी व्यवस्था बना लो जिससे युद्ध हो ही नहीं। अपने लाभ अपने सम्मान के लिए दुसरे का नुकसान न करो।

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