सरकार ने 10 लाख टन चीनी निर्यात करने की मंजूरी देने की खबरें*
*सरकार ने 10 लाख टन चीनी निर्यात करने की मंजूरी देने की खबरें*
*शुगर कंपनी के शेरों की हो सकती है बल्ले बल्ले : शंकर ठक्कर*
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने रविवार को हुई बैठक में 10 लाख मिट्रीक टन चीनी निर्यात को मंजूरी दे दी है। सरकार से यह मंजूरी 19 जनवरी 2025 (रविवार) को मिली है। हालांकि, अभी तक इस पर औपचारिक नोटिफिकेश जारी नहीं हुआ है। जल्द ही इस बारे में नोटिफिकेश जारी किया जा सकता है। इस नोटिफिकेशन में ही चीनी निर्यात को लेकर एक्सपोर्ट पॉलिसी की डिटेल्स जारी की जा सकती है।
सरकारी नोटिफिकेशन में ही वॉल्युम एलोकेशन समेत अन्य जानकारियां और शर्तों के बारे में बताया जाएगा। सरकार के इस फैसले से चीन मीलों और निर्यातकों को फायाद मिलने की उम्मीद है। निर्यातक अब घरेलू खपत से अतिरिक्त चीनी का निर्यात कर सकेंगे।
शुगर इंडस्ट्री बॉडी ने सरकार से 20 लाख टन निर्यात की मांग की थी। लेकिन सरकार ने 10 लाख मिट्रीक टन चीनी निर्यात को मंजूरी दी है। यह निर्यात होने से शुगर कंपनियों की वर्किंग कैप साइकल, बैलेंसशीट में सुधार देखने को मिल सकता है। साथ ही उनकी इन्वेंटरी भी खत्म होने से मार्जिन के मोर्चे पर भी राहत मिलने की उम्मीद है। इसके चलते शुगर स्टॉक्स सोमवार (20 जनवरी) को फोकस में होंगे।
शुगर संगठन ने अपने अनुमान में कहा था कि 15 दिसंबर 2024 तक शुगर प्रोडक्शन 17% घटकर 61.39 लाख टन रहा है। महाराष्ट्र में उत्पादन घटने का असर देखने को मिल रहा है। इसमें इथेनॉल प्रोडक्शन शामिल नहीं है। अगस्त में सरकार ने इथेलनॉल कीमतों में बढ़ोतरी का एलान भी किया था। चालू मार्केटिंग साल (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान शुगर प्रोडक्शन में 17% की गिरावट देखने को मिली है। इसके पिछले मार्केटिंग साल में समान अवधि के दौरान 74.05 लाख टन शुगर प्रोडक्शन हुआ था।
अक्टूबर में सराकर ने चीनी मीलों को डाटा शेयरिंग के लिए API इंटीग्रेशन की सख्त चेतावनी दी थी। सरकार ने कहा था कि डेडलाइन तक API इंटीग्रेशन नहीं होने की स्थिति में चीनी मीलों का शुगर कोटा सस्पेंड किया जा सकता है।
*शंकर ठक्कर ने आगे कहा सरकार का यह निर्णय उल्टा पड़ने की संभावना ज्यादा है। एक तरफ उत्पादन कम है तो दूसरी तरफ गन्ने का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में हो रहा है इसलिए दाम बढ़ने की संभावना बन सकती है।जिस तरह खाद्य तेल में निर्यात शुल्क बढ़ाने के बाद दाम 40% तक बढ़ गए। इस निर्णय से शेयर बाजार पर लिस्टेड शुगर कंपनियों की बल्ले बल्ले हो सकती है*