Uncategorized

*क्या प्रतिस्पर्धा आयोग प्रक्रियाओं पर अपनी पकड़ खो रहा है?*

*न्याय में देरी होना एक तरह अन्याय ही है,सरकार तुरंत आवश्यक कदम उठाए : शंकर ठक्कर*

*क्या प्रतिस्पर्धा आयोग प्रक्रियाओं पर अपनी पकड़ खो रहा है?*

*न्याय में देरी होना एक तरह अन्याय ही है,सरकार तुरंत आवश्यक कदम उठाए : शंकर ठक्कर*

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया भारत में कंपनियों द्वारा गलत तोर तरीकों का इस्तेमाल करको प्रतिस्पर्धा कर दूसरी कंपनी से व्यापार छीन ने पर नक़ल कसने के लिए निगरानी तंत्र का गठन किया गया था जिसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के नाम से कहा जाता है आज सवालों के घेरे में हैं।2024 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि इसकी कुछ चल रही जांचों में काफी देरी हुई है।

भारत में निष्पक्ष बाजार के नियामक, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), ने जहां विलय नियंत्रण (merger control) को विनियमित करने में शानदार प्रदर्शन किया है, वहीं प्रतिस्पर्धा कानून लागू करने के अपने अन्य प्रमुख क्षेत्र में यह हाल ही में कमजोर साबित हुआ है।
2024 में, CCI को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उसकी कुछ चल रही जांचें काफी हद तक बाधित हुई हैं। इस देरी का मुख्य कारण यह है कि पक्षों ने CCI के साथ साझा संवेदनशील गोपनीय डेटा के उल्लंघन और जांच के दौरान हुई प्रक्रियात्मक त्रुटियों पर सवाल उठे हैं।

यूरोपीय संघ (EU) और संयुक्त राज्य अमेरिका (US) जैसे उन्नत न्यायालयों की तुलना में, जहां ऐसी जांचें तेजी से पूरी हो जाती हैं, CCI की जांच अक्सर वर्षों तक खिंच जाती है। कई मामलों में, यह देरी जांच के दौरान न्यायिक समीक्षा के कारण होती है, जो प्रक्रियात्मक अनियमितताओं के चलते होती है।

प्रतिस्पर्धा-रोधी जांचों में समय पर कार्रवाई करना आवश्यक है क्योंकि बाजार गतिशील होते हैं। चूंकि कंपनियां अक्सर अनुचित लाभ हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा-विरोधी रणनीतियां अपनाती हैं, CCI के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह जांच की तहै तक जाकर और तेज़ी से पूरा करे ताकि बाजार को संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
हालांकि, हाल की घटनाओं में, पक्षों द्वारा न्यायिक हस्तक्षेप के माध्यम से CCI की जांचों को रोकने की घटनाओं ने भारत के इस प्रतिस्पर्धा निगरानीकर्ता की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:

1. स्विगी और जोमैटो के खिलाफ NRAI की शिकायत

2. एप्पल के खिलाफ जांच

3. अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच

शंकर ठक्कर ने आगे कहा इन सभी घटनाओं से स्पष्ट होता है कि CCI अपनी प्रक्रियाओं पर नियंत्रण खो रहा है। न्यायालयों द्वारा बार-बार हस्तक्षेप से न केवल जांच में देरी हो रही है, बल्कि CCI की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे बाजार में गलत संदेश जाता है। न्याय में देरी, अन्याय है (Justice delayed is justice denied) इसलिए सरकार को तुरंत आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

: अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ

राष्ट्रीयअध्यक्ष : श्री शंकर ठक्कर
8655500600

svthakkar44@gmail.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!