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*खेती प्रधान देश का कृषि बजट बड़े पैमाने पर बढ़ाने की तैयारी में सरकार

*खेती प्रधान देश का कृषि बजट बड़े पैमाने पर बढ़ाने की तैयारी में सरकार*

*तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दे सरकार : शंकर ठक्कर*

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया भारत जोकी कृषि प्रधान देश है और 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर करती है। ऐसे में आने वाले बजट में सरकार कृषि सेक्टर के बजट को 15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। इससे किसानों को फायदा होगा।

देश का बजट पेश होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में देश की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी जिस सेक्टर पर निर्भर करती है, उस सेक्टर के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना खजाना खोल सकती हैं। इस बार देश में खेती-किसानी और कृषि सेक्टर का बजट 15 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

देश में ग्रामीण आय को बढ़ावा देने और ग्रामीण इलाकों में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। ऐसे में सरकार कृषि के बजट को 20 बिलियन डॉलर (करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए) तक कर सकती है। ये बीते 6 साल में कृषि बजट में सबसे बड़ी वृद्धि होगी। वर्तमान में कृषि बजट 99.41 अरब रुपए है।

एक खबर में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर ध्यान दे रही है। किसानों को सरकार पहले ही ‘किसान सम्मान निधि योजना’ का लाभ दे रही है। इसके तहत उन्हें हर साल 3 समान किस्तों में कुल 6,000 रुपए की आर्थिक सहायता मिलती है। सरकार चाहती है कि किसान इस अतिरिक्त नकदी का उपयोग जहां जीवनस्तर बेहतर करने में करें। वही बजट में होने वाली धन की बढ़ोतरी से सरकार की कोशिश ज्यादा उपज देने वाली बीज किस्मों को विकसित करने, स्टोरेज और सप्लाई इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के साथ-साथ दलहन, तिलहन, सब्जियों और डेयरी उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।

सरकार के सामने इस समय एक बड़ी समस्या महंगाई की है। चावल, गेहूं और चीनी के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन तिलहन, दलहन और अन्य कई खाद्यान्न के मामले में काफी पीछे हैं। इसके बावजूद खाद्यान्नों की ऊंची कीमतों से जूझ रहा है। अक्टूबर 2024 में खाद्य महंगाई दर सालाना आधार पर 10% से अधिक बढ़ गई थी। उसके बाद इसमें नरमी आई है फिर भी बीते पूरे दशक में ये औसत 6% से अधिक रही है।

कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार बजट में कई कृषि जिंसों के एक्सपोर्ट पर बैन तो कई के आयात को आसान बनाने पर काम कर सकती है। अभी भी देश में गेहूं समेत कई जिंस पर एक्सपोर्ट बैन लगा है। वहीं दाल की कुछ किस्मों के लिए आयात नीति का विस्तार किया है। कृषि सरकार की उन प्राथमिकताओं में से एक है जिस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करते समय जोर देंगी।

*शंकर ठक्कर ने आगे कहा बाजार को उम्मीद है कि इस साल बजट में सरकार समावेशी विकास एजेंडे में कृषि, एमएसएमई, घरेलू उपभोग और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दिए जाने की आश है। सरकार को इस बजट में खासकर तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए घोषणा करने की आवश्यकता है ताकि हमें अन्य राष्ट्रों पर तेल और तिलहन के मामले में निर्भर न रहना पड़े। देश के सकल घरेलू उत्पादन यानी जीडीपी में घरेलू व्यय का हिस्सा आधे से अधिक है, इसलिए उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रस्तावित उपायों पर नजर रखी जाएगी। यदि बजट में निजी उपभोग के व्यय को बढ़ावा देने की पहल की जाती है, जो कि करोना महामारी से पहले के स्तर से नीचे बनी हुई है, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च को प्रभावित कर सकती है।*

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