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*सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया अशांति का कारण और शांति का मार्ग*

*आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति से ही आत्मा को सच्चा सुख और शांति मिलती है, जिससे लोक और परलोक दोनों बन जाते हैं*

*सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया अशांति का कारण और शांति का मार्ग*

*आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति से ही आत्मा को सच्चा सुख और शांति मिलती है, जिससे लोक और परलोक दोनों बन जाते हैं*

सीतापुर (उप्र.)इस वक्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 15 दिसंबर 2024 को जिला सीतापुर, उ.प्र. में दिए अपने सतसंग में समझाया कि आज के समय में मनुष्य के पास सब कुछ है — धन-संपत्ति, स्वस्थ शरीर, मान-प्रतिष्ठा और जीवन की हर सुविधा। इसके बावजूद जीवन में सच्ची शांति का अभाव है। इसका कारण बताते हुए महाराज जी ने कहा कि आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति से ही आत्मा को सच्चा सुख और शांति मिलती है, जिससे लोक और परलोक दोनों बन जाते हैं।

*अशांति का कारण*

पूज्य महाराज जी ने बताया कि आज के समय में लोगों के पास धन-संपत्ति है, अच्छी कसरत और खान-पान से शरीर स्वस्थ है, मान-प्रतिष्ठा भी है, लोग पैर छूकर प्रणाम-सलाम भी करते हैं, बढ़िया मकान, गाड़ियां, और सारी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन फिर भी शांति का अभाव है। न राजा को शांति, न रैयत को शांति, न ही पूंजीपति को सुकून की नींद आ रही है। इस अशांति का कारण क्या है? गुरु नानक जी ने इसे स्पष्ट शब्दों में बताया है:

नानक दुखिया सब संसार,
सुखी वही जो नाम अधार।

इस संसार में सच्चा सुख केवल उसी को मिलता है, जिसने प्रभु के नाम को पकड़ लिया है। लेकिन आज के मनुष्य ने नाम का सुमिरन छोड़ दिया, ध्यान करना छोड़ दिया, और यही अशांति का सबसे बड़ा कारण है।

*नाम से ही ये दुनिया संसार बना है।*

नाम नाम सब कोई कहे, नाम न चीन्हा कोय।
नाम चीन्हा सतगुरु मिले, नाम कहावे सोय।

नाम में बहुत बड़ी शक्ति (ताकत) है। नाम से ही यह दुनिया संसार बना है, और इसी नाम से यह टिका हुआ है। लेकिन हर कोई इसकी पहचान नहीं कर पाता है। बहुत से लोग भगवान को मानते हैं, लेकिन एक नाम से नहीं। कोई किसी नाम से तो कोई किसी अन्य नाम से भगवान को पुकारता है। कहा गया, “केशव करोड़ नाम, लाख नाम कृष्ण के”। बहुत सारे नाम हो गए हैं लेकिन यह जो मुंह से लेने वाला नाम है, यह जीवात्मा को पार करने वाला नाम नहीं है। यह मुक्ति दिलाने वाला नाम नहीं है। वास्तविक नाम की पहचान केवल सतगुरु की कृपा से होती है।

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