*बाबा उमाकान्त जी महाराज ने खोला तीसरी आंख का रहस्य।*
*बाबा उमाकान्त जी महाराज ने खोला तीसरी आंख का रहस्य।*
टीकमगढ़ इस वक्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 22 नवम्बर 2024 को जिला टीकमगढ़, म.प्र. में दिए अपने सतसंग में समझाया कि प्रभु का निवास हर मनुष्य के भीतर है, लेकिन बाहरी आंखों से उसे देख पाना संभव नहीं है। इसे देखने के लिए दिव्य दृष्टि का खुलना आवश्यक है। बाबा जी ने अन्य सन्तों की वाणियों और जीवन के व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि यह दिव्य दृष्टि कैसे खोली जा सकती है।
इस शरीर में दो आँख हैं और एक आँख जीवात्मा में है जिसको ‘तीसरी आंख’ या दिव्य दृष्टि कहा गया है। जब यह तीसरी आँख खुलेगी तब प्रभु का दर्शन होगा। गोस्वामी जी महाराज ने कहा-
उघरहिं बिमल बिलोचन ही के।
मिटहिं दोष दुख भव रजनी के।।
सूझहिं राम चरित मनि मानिक।
गुपुत प्रकट जहँ जो जेहि खानिक।।
अंतर में यानी मानस में जो राम का चरित हो रहा है, वह तब दिखाई पड़ेगा जब दिव्य दृष्टि खुलेगी। मीरा ने भी कहा –
घट घट मेरा साईंया,
सूनी सेज न कोय।
बलिहारी वा घट का,
जा घट प्रगट होय॥
अंतरात्मा को ही घट कहते हैं। उस घट को बाहरी आँखों से नहीं देखा जा सकता है। मीरा ने कहा कि वो प्रभु हर घट में विराजमान है। कबीर साहब ने भी कहा –
ज्यों तिल माहीं तेल है,
ज्यों चकमक में आग।
तेरा साईं तुझ में,
जान सके सो जान॥
जैसे तिल में तेल होता है लेकिन बाहर से दिखाई नहीं पड़ता है, जब उसको पेरते हो और नीचे तेल गिरता है तब आपको दिखाई पड़ता है। इसी तरह से वो प्रभु सबके घट में ही है पर ऐसे दिखाई नहीं पड़ता लेकिन कुछ उपाय करने से मिलता है।
*तीसरी आंख खोलने के लिए कोई सतगुरु वैद्य चाहिए।*
प्रभु के न दिखाई पड़ने का कारण क्या है? गोस्वामी जी महाराज की बात को याद दिलाते हुए बाबाजी ने बताया कि-
घट में है सूझत नहीं, लानत ऐसी जिंद।
स्वामी या संसार को, भयो मोतियाबिंद॥
जब मोतियाबिंद हो जाता है तो दिखाई नहीं पड़ता है। तब कहते हो कि डॉक्टर को दिखाया जाए। फिर डॉक्टर कहता है कि इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा; आंख की सफाई करनी पड़ेगी और ये जाला हटाना पड़ेगा तब दिखाई पड़ेगा। तो डॉक्टर उसको हटा देता है, साफ कर देता है, तब दिखाई पड़ने लगता है। इसी तरह से अगर कोई सतगुरु वैद्य मिल जाए, जानकार मिल जाए और अंदर की आंख के सामने जो जान-अनजान में बने बुरे कर्मों का पर्दा लगा हुआ है, उसको हटा दे तो इसी घट में प्रभु का दर्शन होने लग जाए।